चिंता की बात: दो महीने में बदले पाँच कोतवाल दो का निलंबन एक ज्वाइन करते ही हट गए

बहूचर्चित इंस्पेक्टर अभिषेक सिरोही अब संभालेंगे चार्ज

प्रतापगढ़।

पट्टी थाने की कुर्सी अब ‘गर्म तवा’ बन चुकी है। कोई भी अफसर ज्यादा दिन इस पर टिक नहीं पा रहा है। बीते दो महीनों में पांच बार कोतवाल बदले जा चुके हैं, जिससे थाने की कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। चाहे तेज़तर्रार अधिकारी रहा हो या संतुलित सोच वाला, हर किसी को या तो हटना पड़ा या तबादले की मार झेलनी पड़ी।इन दो महीनों में थाने की कमान जिन अधिकारियों ने संभाली, वे हैं –. इंस्पेक्टर आलोक कुमार – इन्होंने कुछ हद तक थाने की व्यवस्था को संभाला।इंस्पेक्टर अवन कुमार दीक्षित – इनके कार्यकाल को लोग आज भी याद करते हैं। न्यायप्रिय और निर्भीक कार्यशैली से इन्होंने कानून व्यवस्था को पटरी पर लाया, मगर टिकाव नहीं मिल सका।इंस्पेक्टर आदित्य कुमार सिंह,इंस्पेक्टर सत्येंद्र सिंह – कार्यभार ग्रहण ही नहीं किया।इंस्पेक्टर पंकज कुमार राय , हाल ही में सरकारी कार्यों में लापरवाही के चलते निलंबित किए गए।उप निरीक्षक मनोज यादव चार दिन तक प्रभारी रहें।अब पट्टी थाना की कमान सौंपी गई है इंस्पेक्टर अभिषेक सिरोही को।

सुनने में आ रहा है कि इंस्पेक्टर सिरोही तेज़तर्रार और अनुशासनप्रिय अधिकारी हैं। कार्रवाई के मामले में उनकी गिनती सख्त लेकिन निष्पक्ष अफसरों में होती है। स्थानीय पुलिस महकमे में उनकी एक अलग पहचान रही है।अब लोगों की नजर इस पर टिकी है कि क्या इंस्पेक्टर सिरोही इस बार पट्टी थाने को स्थायित्व और कानून व्यवस्था को मजबूती दे पाएंगे या फिर यह नाम भी ‘आए और गए’ की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा।स्थानीय लोगों का कहना है।

“जो अफसर दबाव में काम करता है, वो चलता नहीं… और जो सिस्टम से टकराता है, वो टिकता नहीं।”

अब देखना है कि इंस्पेक्टर अभिषेक सिरोही इस चुनौतीपूर्ण पोस्टिंग पर कितने समय तक डटे रहते हैं और क्या वाकई पट्टी की बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधार पाते हैं। पूर्व मंत्री के बयान आते ही सीओ की रिपोर्ट पर तीन दरोगा को गोलीकांड में शिथिलता बरतने के मामले में एसपी ने निलंबित कर दिया है। वही पट्टी कस्बे में घटना को लेकर अभी भी मामला ठंडा नहीं पड़ा है। दबी जुबान लोगों के तमाम सवाल है। विपक्ष पूरी तरह से सत्ता पक्ष के समर्थित ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह पर हमलावर हैं। ब्लाक प्रमुख का बचाव करते हुए पूर्व मंत्री ने पुलिस के आलाधिकारियों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया।

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