नहीं थम रही ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह की मुश्किलें! गोलीकांड मामले में चार और नाम जुड़े, बढ़ी भूमाफिया की धारा
समर्थको का कहना है कि मदद करने गए.. आत्मरक्षा में चलाई थी गोली.. अब बुरे फंस गए

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी
पट्टी रजिस्ट्री कार्यालय के बाहर हुए गोलीकांड को एक सप्ताह से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन विवाद अब भी थमा नहीं है। अब यह मामला न केवल आपराधिक बल्कि राजनीतिक और सामाजिक तनाव का रूप ले चुका है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जमीन विक्रेता जगन्नाथ विश्वकर्मा की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह समेत चार अन्य के नाम जोड़े गए हैं। पुलिस ने मामले में भूमाफिया की धारा भी बढ़ा दी है।
इससे पहले जगन्नाथ की तहरीर पर औराइन गांव निवासी विपिन पांडेय और शिवम पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि उन्होंने जमीन कब्जा करने और जबरन बैनामा कराने की कोशिश की। लेकिन मामले की विवेचना कर रहे एसआई संतोष कुमार पासवान ने अब ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह सहित चार अन्य लोगों के नाम भी शामिल कर लिए हैं।
आठ दिन बाद भी गरमाया सियासी माहौल
घटना के एक सप्ताह बाद भी सोशल मीडिया पर बहस थमी नहीं है। पूरा मामला दो धड़ों में बंट गया है—एक पक्ष सुशील सिंह को निर्दोष बता रहा है और कह रहा है कि उन्होंने आत्मरक्षा में गोली चलाई।दूसरा पक्ष उन्हें साजिशकर्ता करार दे रहा है, जो बैनामा रुकवाने की नीयत से मौके पर पहुंचे थे।वहीं, तीसरा पक्ष विवाद की जड़ भूमि विक्रेता जगन्नाथ को मान रहा है, जिस पर पैसे लेकर जमीन किसी दूसरे को देने का आरोप है। प्रमुख पक्ष की सफाई में उनके करीबी कहते हैं कि उनके ऊपर खरीदार पक्ष के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने हमला किया। “बाल उखाड़े, तमाचे मारे गए, जान बचाने के लिए फायरिंग की गई।”
बेकसूरों को फंसाने का आरोप
इस पूरे विवाद में चैरिया गांव के ओम सिंह और टक्कू सिंह पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। परिजनों का कहना है कि उनका इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है।
जातीय रंग देने की कोशिश
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस मामले को ब्राह्मण बनाम ठाकुर के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि:विक्रेता जगन्नाथ ओबीसी वर्ग से हैं।क्रेता ब्राह्मण समुदाय से हैं।विवाद रोकने वाला पक्ष भी ब्राह्मण (पांडेय) समाज से है।और इस पूरे घटनाक्रम में ठाकुर, श्रीवास्तव व जायसवाल समाज के लोग भी विवाद में घसीटे गए।
प्रशासन भी घेरे में
घटना के बाद थाना स्तर पर कार्रवाई करते हुए कोतवाल सहित दो उपनिरीक्षक निलंबित किए जा चुके हैं। अब भी पुलिस जांच जारी है। मगर, यह गोलीकांड अब सामाजिक और राजनीतिक तनाव का कारण बनता जा रहा है।