जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार, संत समाज में हर्ष

गाँव लहरिया न्यूज़ डेस्क /चित्रकूट। माँ सरस्वती के वरदपुत्र और प्रख्यात विद्वान पूज्यपाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदत्त इस सम्मान को ग्रहण करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने इसे भारतीय साहित्य और सनातन संस्कृति का गौरव बताया।उनके उत्तराधिकारी आचार्य राम चंद्र दास जी महाराज ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जगद्गुरु जी का जीवन त्याग, तप और विद्वत्ता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उनके असाधारण साहित्यिक और आध्यात्मिक योगदान का प्रतीक है। उनके आशीर्वाद से संत समाज और समाज के हर वर्ग को दिशा मिलती है।”जन्म से नेत्रहीन होने के बावजूद जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने संस्कृत, हिंदी और कई अन्य भाषाओं में सैकड़ों ग्रंथों का सृजन किया है। उनकी कृतियों में राम कथा, महाकाव्य, टीकाएँ और अन्य धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं, जो भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं।इस सम्मान के बाद संत समाज, शिष्य मंडली और साहित्य प्रेमियों में हर्ष का माहौल है। देशभर से शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है।

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