दस्तक अभियान धरातल पर फेल, संग्रामपुर क्षेत्र के कई गांवों में नहीं पहुंची स्वास्थ्य टीम
पोस्टरों में सजी योजनाएं, जमीनी हकीकत शून्य

गाँव लहरिया न्यूज़/अमेठी
जिले में 1 जुलाई से शुरू हुए दस्तक अभियान की हकीकत अब सामने आने लगी है। कागजों में भले ही जागरूकता रैली से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं सक्रिय दिखाई गई हों, लेकिन संग्रामपुर क्षेत्र के तमाम गांवों में आज तक कोई स्वास्थ्य टीम नहीं पहुंची।बंचारी रोग नियंत्रण के उद्देश्य से 11 जुलाई से 31 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान का आज 30वां दिन है, लेकिन सरैया कनू के पूरे दुबान, फूला का पुरवा और तलिया गांव जैसे अनेक ग्रामीण इलाकों में लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है।पूरे दुबान के बर्मा समुदाय के लोगों ने बताया कि उनके यहां न कोई स्वास्थ्य कर्मी आया और न ही किसी प्रकार की दवा या जानकारी दी गई। फूला का पुरवा के ग्रामीणों का भी यही कहना है कि किसी भी विभाग ने उन्हें दस्तक अभियान की जानकारी तक नहीं दी। तलिया गांव के लोगों ने तो यहां तक कहा कि “अभियान की हवा भी नहीं पहुंची।”
स्थानीय स्तर पर की गई जानकारी में सामने आया कि इस पूरे अभियान का लाभ केवल 20 प्रतिशत परिवारों तक ही सीमित रहा। जिन गांवों में चार पहिया वाहन आसानी से पहुंच सकते थे, उन्हीं तक यह अभियान सिमट कर रह गया। वहां कुछ अधिकारियों की उपस्थिति में दस्तावेज़ी खानापूरी की गई और अभियान को “सफल” घोषित कर दिया गया।अभियान की सफलता में सहयोग के लिए जिन विभागों को जोड़ा गया था, जैसे शिक्षा विभाग, पंचायत राज, पशुपालन विभाग — किसी ने भी अभियान में रुचि नहीं दिखाई। इस समन्वयहीनता के कारण अभियान का मूल उद्देश्य पीछे छूट गया।
अब यह देखना होगा कि 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले अगले दस्तक अभियान में ज़मीनी स्तर पर कितना बदलाव लाया जाता है और कितने प्रतिशत परिवारों को वास्तव में इसका लाभ मिल पाता है।फिलहाल यह अभियान गांवों में “कागज़ी दस्तक” बनकर रह गया है, जिसे ग्रामीणों ने एक और असफल सरकारी प्रयास करार दिया है।