बच्चों की मासूम दरियादिली ने बचाई एक नन्हीं जान
छोटे-छोटे बच्चों ने एक नन्ही चिड़िया की जान बचाकर पेश की मानवता की मिशाल

गाँव लहरिया प्रतिनिधि/ बाबा बेलखरनाथ धाम
संवेदनशीलता, करुणा और सहयोग की जो सीख हम बड़ों को अक्सर किताबों से मिलती है, उसे छोटे-छोटे बच्चों ने एक नन्ही चिड़िया की जान बचाकर सच कर दिखाया है। यह प्यारी सी घटना बाबा बेलखरनाथ धाम क्षेत्र के रखहा बाजार स्थित आयुष जायसवाल के घर की है, जहां मासूम बच्चों की दरियादिली की मिसाल बनी एक चिड़िया और उसका बच्चा।
हुआ यूं कि आयुष के घर में एक चिड़िया ने अंडे दिए और कुछ दिनों बाद एक नन्हे चिड़िया के बच्चे ने जन्म लिया। जन्म के तुरंत बाद वह बच्चा उड़ने में असमर्थ था। जब आयुष ने उसे देखा तो उसकी देखभाल का जिम्मा खुद उठा लिया। आयुष के साथ-साथ घर के अन्य बच्चों—अनन्या, अंश, पीहू, परी, आकृति और आराध्या ने भी इस नन्हे मेहमान की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी।
चिड़िया के माता-पिता नियमित रूप से मुंह में चारा लेकर आते और अपने बच्चे को दाना खिलाते। बच्चों ने सुनिश्चित किया कि चिड़िया का बच्चा सुरक्षित स्थान पर रहे और उसे किसी प्रकार की तकलीफ न हो।
कुछ ही दिनों में चिड़िया का बच्चा चलना और फुदकना सीख गया है। हालांकि वह अभी उड़ने में सक्षम नहीं है, लेकिन बच्चों की देखभाल और प्रकृति के सहयोग से उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द ही खुले आसमान में उड़ान भर सकेगा।
यह घटना सिर्फ एक पक्षी की जान बचाने की नहीं है, बल्कि यह बताती है कि बच्चों के दिल में कितनी कोमलता और संवेदना होती है। इन बच्चों ने अपने छोटे से प्रयास से न सिर्फ एक जान बचाई, बल्कि समाज को एक खूबसूरत संदेश भी दिया—प्यार और करुणा से बड़ी कोई सेवा नहीं।