पट्टी गोलीकांड: आरोपियों को मिल रहा ‘VIP ट्रीटमेंट’, पुलिस पर उठे सवाल
“घबराओ मत... भैया हैं ना!” – वायरल वीडियो ने खोली कार्यप्रणाली की पोल

गाँव लहरिया न्यूज़/प्रतापगढ़।
पट्टी कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर बीते सोमवार को हुए गोलीकांड के बाद एक ओर जहां क्षेत्र में दहशत का माहौल है, वहीं दूसरी ओर पुलिस की कार्यप्रणाली और पक्षपातपूर्ण रवैए को लेकर सवाल उठने लगे हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे महकमे की पेशेवर छवि पर सवालिया निशान लगा दिया है।
वीडियो में दरोगा-सिपाही कर रहे ‘भैया’ की बात
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे दरोगा और सिपाही आरोपितों शिवम पांडेय और विपिन पांडेय को बड़ी नरमी से समझाते हुए कहते हैं—”घबराओ मत, भैया हैं ना… कुछ नहीं होगा।” वीडियो में न तो कोई सख्ती दिखती है, न ही कोई कानूनी दबाव। इसके उलट, दोनों आरोपियों के चेहरे पर रत्तीभर भी खौफ नजर नहीं आ रहा।
आख़िर कौन है ‘भैया’?
अब लोगों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह ‘भैया’ कौन है, जो न केवल आरोपियों को संरक्षण दे रहा है, बल्कि पुलिस महकमा भी उनके आगे नतमस्तक नजर आ रहा है। चर्चाएं तेज हैं कि ‘भैया’ कोई रसूखदार नेता या प्रभावशाली व्यक्ति हो सकता है, जो पुलिस की कार्रवाई की दिशा तय कर रहा है।
ब्लॉक प्रमुख की भूमिका पर नजर
पट्टी गोलीकांड के मुख्य आरोपी के रूप में बाबा बेलखरनाथ धाम के ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह का नाम सामने आ चुका है। पुलिस ने इस मामले में कुल छह आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ₹25,000 का इनाम घोषित किया है, बावजूद इसके ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ शुरू नहीं किया गया। इसके स्थान पर एक-एक कर आरोपियों को ‘नाटकीय’ अंदाज में गिरफ्तार किया जा रहा है।
सुशील सिंह के आत्मसमर्पण की अटकलें
गुरुवार को दिनभर यह चर्चा भी जोरों पर रही कि ब्लॉक प्रमुख सुशील सिंह ने लखनऊ में आत्मसमर्पण कर दिया है, लेकिन देर रात तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। वहीं, उनके करीबी संतोष सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में
लोगों का कहना है कि अगर घटना किसी गरीब, कमजोर या असंगठित व्यक्ति से जुड़ी होती, तो पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई करती, मुठभेड़ की खबर आती और अभियुक्त लंगड़े होते। मगर इस प्रकरण में न तो दबिश है, न सख्ती और न ही कोई सख्त संदेश।
प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
नाटकीय गिरफ्तारियां, वीआईपी ट्रीटमेंट, और वायरल वीडियो ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि पूरा मामला कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण की परछाई में दबता जा रहा है। अब क्षेत्रीय जनता जानना चाहती है—आख़िर कौन है वह ‘भैया’, जिसके सामने कानून भी बेबस है?