मानव हृदय ही संसार सागर है:विनोदानन्द जी महाराज 

पूरे बोधराम काछा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उमड़ी श्रोताओं की भीड़

मत्स्यः कूर्मो वराहश्च नारशिंहश्च वामनः रामो रामश्च रामश्च कृष्णः कल्कि च ते दशः -विनोदानन्द जी महाराज

प्रतापगढ। पूरे बोधराम काछा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आज की कथा कहते हुए कथा व्यास आचार्य विनोदानन्द जी महाराज ने दशावतार और समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के स्वरूप हैं कथा वाचक महाराज श्री ने भगवान के अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगर्भित कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है। यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं। जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं ।समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता ।

महाराज श्री ने बताया कि जिसके अंदर के दानव जीत गया उसका जीवन दु:खी, परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा । इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी नजर रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए । कथा के प्रारंभ में श्री भागवत भगवान का पूजन कर आरती उतारी गई कथा के बीच बीच में महाराज श्री ने व उनके साथ रही भजन मण्डली ने भागवत भजन के द्वारा माहौल को भागवतमय एवं भक्तिमय बना दिया। कथा सुनने के लिए आस पास के लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है ।

आज की कथा में मुख्य यजमान श्रीमती इंदू शुक्ला व श्री रामचन्द्र शुक्ल जी के साथ वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व जिलाध्यक्ष पण्डित स्वामी नाथ शुक्ल, धर्म राज मिश्र शैलेंद्र कुमार शुक्ल, करूणेश त्रिपाठी, पंकज मिश्र, जय भगवान पाण्डेय, अयोध्या प्रसाद शुक्ल, रंजन शुक्ल, अमृत लाल, रामराज पाण्डेय, अमित शुक्ल, आचार्य स्वामी नाथ शुक्ल, गंगा प्रसाद पाण्डेय, पवन सरोज, मिठ्ठू लाल, गामा पाल, सदाशिव पाल, राम आसरे पाल, कैलाश गुप्ता, मंजू, जयकन्या शुक्ल, रेनू,शिल्पी, रश्मि,पूजा, उमा, रानी मिश्रा, किरण, अश्वनी आदि उपस्थित रहे

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