संविधान ने ही महिलाओं को हिंसा-मुक्त जीवन जीने का अधिकार दिया- नसीम अंसारी

16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी अभियान के तहत महिला अधिकारों की दी गयी जानकारी 

गाँव लहरिया न्यूज/डेस्क

16 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी अभियान के तहत 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक पट्टी क्षेत्र के विभिन्न गांवों में तरुण चेतना द्वारा रैली व बैठकें करके लोगों को महिला अधिकारों की दी गयी जानकारी दी जा रही है..

इसी क्रम में संविधान दिवस के अवसर पर तरुण चेतना कार्यालय पर आशा, एयनयम, आंगनवाडी व यफपीसी की महिला निदेशकों सहित विभिन्न हितगामियों की एक कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमें घरेलू महिला हिंसा कानून, कार्य स्थल पर यौन उत्पीडन कानून व उत्तराधिकार कानून सहित सुरक्षित गर्भ समापन कानून पर खुल कर चर्चा की गयी. इस अवसर पर तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने कहा कि संविधान ने ही महिलाओं को हिंसा-मुक्त जीवन जीने का अधिकार दिया. भारतीय संविधान में दिए गए विभिन्न कानूनों का प्रयोग करके महिलाये अपना अधिकार सम्मानजनक तरीके से ले सकती हैं.

इस अवसर पर क्रिया-नयी दिल्ली की कंसल्टेंट शकुंतला ने सुरक्षित गर्भ समापन कानून पर चर्चा करते हुए बताया कि यमटीपी संशोधन अधिनियम, 2021 अधिनियम के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होती है। जबकि गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होगी।. सुश्री शकुंतला ने बताया कि इसके अलावा भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले में 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिये राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय लेना आवश्यक होगा। इसके अलावा महिलाओं की विशेष श्रेणियों जैसे दुष्कर्म से पीड़ित महिलाओ व दिव्यांग महिलाएँ और नाबालिग आदि के लिये गर्भकाल/गर्भावधि की सीमा को 20 से 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है। गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला का नाम और अन्य विवरण, वर्तमान कानून में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर, किसी के भी समक्ष प्रकट नहीं किया जाएगा।

कार्यक्रम में बी बृजलाल वर्मा ने कहा कि संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतंत्र घोषित करता है। हमारा संविधान हर भारतीय नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता की गारंटी देता है और बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, जो भारत का संविधान सरकारी निकायों के राजनीतिक कोड, संरचना, प्रक्रिया, शक्तियों और कर्तव्यों के लिए रूपरेखा तैयार करता है और देश के प्रति नागरिकों के मौलिक अधिकार, मूल सिद्धांत और कर्तव्य प्रदान करता है अंत में सभी प्रतिभागियों ने खड़े होकर भारतीय संविधान की प्रस्तावना को दोहरा कर इसके पालन की शपथ ली. कार्यक्रम में कलावती देवी, सहीद अहमद, बदरुन्निशा, गार्गी पटेल, उषा वर्मा, अमरावती आदि ने भी अपने विचार रखे.

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