मुहर्रम के दिन कुंडा में क्यूँ होता है बवाल ? क्या है इसके पीछे का सच ?

गाँव लहरिया न्यूज/कुंडा 

मोहर्रम आते ही कुंडा की चर्चा प्रदेश स्तर पर होने लगती है। मुहर्रम के दिन शेखपुर गाँव स्थित हनुमान मंदिर पर राजा भदरी उदय प्रताप सिंह सुन्दरकाण्ड करते हैं और भंडारा करते है।  यह सिलसिला शुरू हुआ बात 2012 से जब शेखपुर गांव में सड़क के किनारे एक बंदर की मौत हो गई थी। इसके बाद वहां ग्रामीणों ने एक हनुमान मंदिर का निर्माण कर दिया। वहां हनुमान पाठ और भंडारे का आयोजन किया जाने लगा। इसका आयोजन राजा उदय प्रताप सिंह करवाते थे। यह भंडारा मोहर्रम के दिन ही होता था। 2013 और 2014 में दो साल भंडारा और मोहर्रम का जुलूस साथ निकला।

2015 के मोहर्रम पर मुस्लिम समुदाय ने हनुमान मंदिर पर भंडारे और झंडे का विरोध करते हुए अपनी ताजिया नहीं उठाई और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद मामला पुलिस-प्रशासन तक पहुंच गया। मोहर्रम के दसवीं के अगले दिन तत्कालीन डीएम और एसपी ने मामले को शांत कराते हुए ताजिया को दफन कराया।

2015 के बाद से प्रशासन ने नहीं होने दिया भंडारा

मुसलमानों के विरोध के चलते मंदिर पर होने वाले भंडारे को पुलिस प्रशासन ने रुकवा दिया तब से लेकर आज तक तक इस दिन मंदिर पर भंडारा नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों को लगता था की सूबे में सरकार बदलने के बाद हिन्दुत्वादी सरकार आने के बाद कुंडा के इस गाँव में मंदिर पर सुन्दरकाण्ड और भंडारा हो सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ । राजा भदरी इस बात से आहत भी रहते हैं और समय समय पर अपने उदगार व्यक्त करते रहते हैं और भाजपा को हिन्दुओं की पीठ में छूरा घोपने वाली पार्टी बताने से नहीं हिचकते।

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