शिव विवाह का प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

किशोरी सदन में हो रही है कथा

सेवा भारती के द्वारा किशोरी सदन में सुसज्जित भव्य पंडाल में चल रही श्री राम कथा के दूसरे दिन आज कथा व्यास मानस मर्मज्ञ  दिलीप कृष्ण भारद्वाज जी ने सती मोह से शिव पार्वती के विवाह तक के प्रसंगों का विशद वर्णन किया। आप ने बताया कि त्रेता युग में एक बार महर्षि अगस्त्य के आश्रम से वापस आते हुए मार्ग में माँ सीता की खोज में लगे हुए मानव रूपधारी भगवान श्री राम को देख कर भगवान शिव ने “जय सच्चिदानंद “ कह कर प्रणाम किया एवं आगे बढ़ गये । यहीं पर सती जी मोह में पड़ गयीं कि भगवान शिव ने एक मानव को इस तरह प्रणाम क्यों किया। अपनी शंका को शिव जी के सामने रखने पर उन्होंने सती से कहा कि यदि विश्वास नहीं है तो वे परीक्षा ले लें।परीक्षा हेतु सती ने सीता का रूप धारण किया ।इस कारण शिव जी ने सती को पत्नी रूप में परित्याग कर दिया ।कालांतर में सती के पिता दक्ष के द्वारा किए गये यज्ञ में शिव जी का अपमान देखकर सती ने यज्ञ के कुंड में कूदकर जीवन त्याग कर दिया तथा हिमालय के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया । पार्वती जी ने नारद जी के उपदेश पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए विकट तपस्या की। अन्ततः, भगवान विष्णु के परामर्श पर शिव जी ने पार्वती को स्वीकार किया एवं इस तरह शिव पार्वती का विवाह संपन्न हुआ ।कथा के बीच बीच में श्री दिलीप कृष्ण जी ने विभिन्न ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करके श्रोताओं का ज्ञान वर्धन किया।आरंभ मे मुख्य यजमान सियाराम ने पूजन किया |शिव विवाहोत्सव में भक्तजन आनंदित होकर झूमे |संपूर्ण वातावरण शिवमय, आनंदमय हो गया |

कथा के सह संयोजक शिशिर खरे ने बताया कि कार्यक्रम में मनोज ब्रह्मचारी, गोविंद खंडेलवाल,डॉ सौरभ पांडेय, शिशिर खरे, शरद केशरवानी ,गिरजा शंकर मिश्र, डॉ रंगनाथ शुक्ला, नीतेश खंडेलवाल, राज नारायण सिंह, डॉ आर पी सिंह ,राजू जैसवाल, अमित शुक्ला,श्रीमती शकुन्तला खंडेलवाल, बीना सिंह, रेखा खंडेलवाल, अनामिका उपाध्याय, संगीता खंडेलवाल, पूनम आहूजा, अलका खण्डेलवाल, अनुराधा केसरवानी, साक्षी खंडेलवाल,अरविंद सिंह, अमित शुक्ल, ओम प्रकाश पांडे गुड्डू, इत्यादि उपस्थित रहे।

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