पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य पर जानलेवा हमले का आरोपी बेखौफ, खुलेआम घूमते आरोपी की तस्वीर वायरल
पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

गाँव लहरिया प्रतिनिधि/ बाबा बेलखरनाथ धाम।
कानून व्यवस्था किसी भी लोकतांत्रिक समाज की रीढ़ होती है। नागरिकों का विश्वास तब ही बना रह सकता है जब अपराध के विरुद्ध सख़्ती से कार्रवाई हो और न्याय की प्रक्रिया प्रभावी ढंग से चले। लेकिन जब अपराधी खुलेआम सड़कों पर घूमते हैं, और पुलिस केवल मूकदर्शक बनी रह जाती है, तो यह न सिर्फ व्यवस्था की विफलता है बल्कि जनतंत्र के बुनियादी उसूलों के लिए भी एक खतरा बन जाता है।
मनरेगा की ऑफिसयल साईट पर काम कराता दिखा आरोपी
प्रतापगढ़ जनपद के बेलखरनाथ धाम क्षेत्र में घटित हालिया प्रकरण इस विफलता का जीवंत उदाहरण है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अजीत पांडे पर हुए जानलेवा हमले का एक आरोपी अब भी फरार है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वही आरोपी अब न सिर्फ गांव में खुलेआम घूम रहा है बल्कि मनरेगा जैसी सरकारी योजना के अंतर्गत कार्यरत भी पाया गया है। उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल
यह दृश्य केवल कानून व्यवस्था पर नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रशासनिक तंत्र पर प्रश्नचिह्न लगाता है। क्या एक सामान्य नागरिक को इतनी छूट मिल सकती है कि वह फरार रहते हुए भी सरकारी योजनाओं का हिस्सा बने? और अगर नहीं, तो फिर ऐसे आरोपी को यह संरक्षण किसके भरोसे प्राप्त है?
पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी केवल प्राथमिकी दर्ज करने तक सीमित नहीं हो सकती। जब तक अपराधियों को सजा नहीं मिलती और पीड़ित को न्याय नहीं, तब तक कानून का कोई अर्थ नहीं रह जाता। अगर आरोपी मनरेगा कार्य में भाग ले रहा है, तो इससे यह भी स्पष्ट होता है कि निगरानी और क्रियान्वयन प्रणाली में गंभीर खामियाँ हैं।
समाज के लिए यह एक खतरनाक संकेत है। यह संदेश जा रहा है कि प्रभावशाली या दबंग व्यक्तियों के लिए कानून अलग है, और आम जनता के लिए अलग। यदि यही स्थिति रही तो अपराधियों के हौसले और बढ़ेंगे, और पीड़ितों का भरोसा तंत्र से टूटता चला जाएगा।
इस समय ज़रूरत है सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की, निष्पक्ष जांच की और जवाबदेही तय करने की। यह घटना सिर्फ एक गांव या एक व्यक्ति की नहीं है — यह समूची व्यवस्था की परीक्षा है। और इस परीक्षा में असफलता का अर्थ होगा — न्याय का मरण।