बरसात का मौसम अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है. क्योंकि इस मौसम में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया पनपते हैं. जहां एक तरफ लोग बाढ़ और बारिश से परेशान हैं, वहीं, दूसरी तरफ बीमारियां भी घेर रही हैं. इनमें से ही एक है आई फ्लू. इसको कंजक्टिवाइटिस भी कहा जाता है. आंखों की यह बीमारी होने पर जलन, दर्द और लालपन जैसी परेशानी होती है. वैसे तो इस बीमारी का कारण एलर्जिक रिएक्शन है. लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण होने से भी हो सकती है. इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से होती है, लेकिन कुछ समय बाद दूसरी आंख भी चपेट में आ जाती है. इस बीमारी से कैसे बचें ? इसका क्या है उपचार बताया डॉक्टर विष्णु पाण्डेय ने आप भी पढ़ें …
आई फ्लू क्या है ?
आई फ्लू एक प्रकार का आंख का संक्रमण होता है, जो वायरस के कारण होता है। आई फ्लू के कारण आँखों की ललिमाँ व सूजन जैसे लक्षण होने लग जाते हैं। यह इन्फेक्शन काफी दर्दनाक व परेशान कर देने वाली स्थिति पैदा कर देता है। यह काफी संक्रामक (तेजी से फैलने वाला) रोग होता है, जो एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है।
आई फ्लू के क्या लक्षण ?
आई फ्लू में कई अलग-अलग लक्षण पैदा हो सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
आंखों में दर्द होना
आंखों से पानी आना
आंखों मे खुजली होना
धुंधला दिखाई देना
आंखों में जलन होना
आंखें खुली रखने में कठिनाई होना
पलकों के बाल चिपकना
सिरदर्द होना
लंबे समय से आंखों में सूखापन रहना (और पढ़ें – आँखों के सूखेपन के उपाय)
आंखों में दबाव सा महसूस होना
आंखों के सफेद हिस्से और पलकों में लालिमा होना
आंखों की पलकों के ऊपर पीले रंग का गाढ़ा और चिपचिपा पदार्थ बनना
रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
आंख में कुछ चले जाने जैसा महसूस होना
आईफ्लूकीजांचकैसेकीजातीहै?
डॉक्टर लक्षण व संकेतों को देखकर और स्थिति से जुड़े कुछ सवाल पूछ कर आई फ्लू का परीक्षण कर सकते हैं। परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपके द्वारा महसूस किए जा रहे लक्षणों की गंभीरता और ये कितने समय से हो रहे हैं आदि के बारे में पूछते हैं। आई फ्लू का परीक्षण करने के लिए आमतौर पर इतनी जानकारी काफी होती है। कुछ मामलों में डॉक्टर आपको आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास भी भेज सकते हैं, जिन्हें ओफ्थल्मोलॉजिस्ट (Ophthalmologist) कहा जाता है। ये डॉक्टर आंखों का परीक्षण करने के लिए रोशनी वाले उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। यदि आंखों से कीचड़ या अन्य पदार्थ आ रहा है, तो इस स्थिति की जांच करने के लिए स्वेब टेस्ट भी किया जा सकता है। इस टेस्ट में स्वेब नाम के एक उपकरण की मदद से आंख से निकलने वाले द्रव से सेंपल लिया जाता है और परीक्षण के लिए उसको लैब में भेज दिया जाता है। लैब में इन्फेक्शन व उसका कारण बनने वाले सूक्ष्म जीव की पहचान की जाती है।
डॉक्टरकोकबदिखानाचाहिए?
यदि आपको निम्न समस्याएं महसूस हो रही हैं, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए:
धुंधला दिखाई देना
आंख से कीचड़ या अन्य किसी प्रकार का द्रव या पदार्थ आना
आंख में लगातार दर्द महसूस होना
देखने में कठिनाई महसूस होना
यदि आई फ्लू बार-बार हो रहा है
यदि घरेलू उपचार करने पर 2 या 3 दिन तक यह समस्या बनी रहती है
यदि आई फ्लू किसी बच्चे को हो गया है
आईफ्लूकाइलाजकैसेकियाजाताहै?
आई फ्लू आमतौर पर कुछ दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाती है। यदि आई फ्लू किसी प्रकार के वायरस के कारण हुआ है, तो उन मामलों में एंटीबायोटिक दवाएं कोई भी मदद नहीं कर पाती। आई फ्लू का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। दिन में 3 से 4 बार प्रभावित आंख की ठंडी या गर्म सिकाई करने से और डॉक्टर द्वारा बताई गई कुछ प्रकार की आई ड्रॉप दवाएं इस्तेमाल करने से भी आई फ्लू के लक्षणों को शांत किया जा सकता है।
घरेलू उपचार
आई फ्लू के लिए कुछ घरेलू उपचार भी हैं, जो आई फ्लू का इलाज करने और उसके कारण हो रहे जलन व सूजन जैसे लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसमें सबसे कारगर है बर्फ से सिकाई:अपनी आंखों को बंद करें और पलकों को बर्फ के साथ सेकें, बर्फ को सीधे त्वचा पर ना लगाएं उसको किसी कपड़े के साथ लपेट लें।
कंजंक्टिवाइटिससेऐसेकरेंबचाव
-आखों को बार-बार हाथ न लगाएं.
– आंखों को बार-बार पानी न लगाएं, लेकिन ठंडे पानी से समय-समय पर धोएं.
– आई फ्लू होने पर अपनी आंखें और चेहरे पर इस्तेमाल होने वाली वस्तु जैसे तौलिया और रूमाल किसी के साथ शेयर न करें.