धूम-धाम से निकला बारावफात का जुलूस,हिन्दुओं ने जुलुस का किया गर्मजोशी से स्वागत
'बारावफात' इस्लाम धर्म के संस्थापक प्रोफेट मोहम्मद की पैदाइश और उनके इस दुनिया से रुखसत होने का दिन है
गाँव लहरिया न्यूज/डेस्क
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (बारावफात) बृहस्पतिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
जगह-जगह तिरंगे झंडे के साथ जश्न-ए-मुहम्मदी यौमे विलादत का जुलूस निकाला गया। इसमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ भाईचारे की भावना का भी संदेश दिया गया। पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की शान में नात-ए-पाक पेश किया गया। दुआख्वानी की गई।
जुलूस चौक ,ढकवा मोड़, मेन रोड से होते हुए हवाईदार मोहल्ले में जाकर समाप्त हुआ। इस दौरान नगर को जगह जगह पर झालरों और झंडे से सजाया गया था. जगह जगह पर जुलुस के लिए जलपान कि भी व्यवस्था कि गयी थी.इस दौरान सभासद प्रतिनधि मोहम्मद सैफ,हाफिज रिजवान जमा मस्जिद पट्टी, मोहम्मद शहजादे , इबरार अहमद, मोहम्मद यासीन राइन,मोहम्मद मतीन राइन, मोहम्मद तालिब,कईयूम अंसारी,मुन्ना, सिराज अहमद पूर्व सभासद अब्दुल नासिर, हाफिज मोहम्मद असरार, अदनान अहमद, फ़रीद, इरफ़ान, गोकुल, मंसूर, साहबान, नसीम, महमूद नासिरी समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे.
हिन्दुओं ने भी जुलुस का किया गर्मजोशी से स्वागत
सांप्रदायिक सद्भावना का सन्देश देते हुए नगर में विभिन्न जगहों पर हिदू व्यापारियों ने जुलुस का सगता किया और नबी के जन्मदिन कि बधाई दी जिनमें प्रमुख रूप से चेयरमैन अशोक जायसवाल,अशोक सोनी, नन्हे सोनी, राजकुमार जायसवाल, आदेश जायसवाल, पवन खंडेलवाल समेत बहुतायत संख्या में हिन्दू व्यापारियों ने जुलुस का स्वागत किया .
क्यों निकाला जाता है बारावफात का जुलूस?
ईद-ए-मिलाद के रूप में जाना जाने वाला, मिलाद-उन-नबी पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह उत्सव मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं की भी याद दिलाता है. मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है. हालाँकि मुहम्मद का जन्मदिन एक खुशहाल अवसर है, लेकिन मिलाद-उन-नबी शोक का भी दिन है.यह इस वजह से क्योंकि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु भी हुई थी.