पट्टी तहसील स्थित महोखरी गांव गोलीकांड: जमीनी विवाद की आग में झुलसी जान, राजस्व विभाग और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

गाँव लहरिया न्यूज़/पट्टी
पट्टी तहसील के महोखरी गांव में हाल ही में जमीनी विवाद को लेकर हुए गोलीकांड और निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है । इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ एक परिवार को मातम में डुबो दिया, बल्कि राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या समय रहते प्रशासन सतर्क होता और मुस्तैदी दिखाता तो यह हत्या रोकी जा सकती थी ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक पक्ष ने कई बार स्थानीय राजस्व अधिकारियों और थाने में शिकायत की थी कि जमीन संबंधी विवाद बढ़ता जा रहा है और कभी भी स्थिति भयावह हो सकती है। बावजूद इसके, न तो राजस्व विभाग की ओर से प्रभावी सीमांकन की कार्रवाई की गई, और न ही पुलिस ने किसी प्रकार की सख्त निगरानी या सुरक्षा के उपाय किए । घटना वाले दिन जब दोनों पक्ष आमने-सामने आए, तो महज कुछ ही मिनटों में विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया और गोलियों की तड़तड़ाहट ने गांव सहित पूरे क्षेत्र की शांतिभंग कर दी । एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक अन्य महिला गंभीर रूप से घायल है, प्रयागराज में उसका इलाज चल रहा और स्थिति गंभीर है ।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से गई जान, हजारों विवादित मामले लंबित
सूत्रों की मानें तो पट्टी तहसील में राजस्व विभाग की लापरवाही आए दिन घट रही खूनी संघर्ष की घटनाओं और हत्या जैसे जघन्य अपराध का प्रमुख कारण है । तहसील पट्टी में हजारों मामले लंबित हैं जिन्हें जानबूझकर राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लटकाए रखा जाता है ताकि धन उगाही की जा सके । गांव वालों का आरोप है कि यदि राजस्व विभाग ने समय रहते भूमि की स्थिति स्पष्ट कर दी होती और पुलिस ने त्वरित हस्तक्षेप किया होता, तो यह जानलेवा टकराव टल सकता था। सूत्रों की मानें तो कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर मामले को नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से हालात इस कदर बिगड़े।
लीपापोती में जुटा प्रशासन, स्थिति जस की तस
अब प्रशासन लीपापोती में जुटा है, लेकिन सवाल यह है कि जब आशंका जाहिर की जा चुकी थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? क्या यह लापरवाही मात्र संयोग है या फिर किसी मिलीभगत का परिणाम ?महोखरी की इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है, बल्कि यह पूरे जनपद के लिए एक चेतावनी भी है कि यदि राजस्व और पुलिस तंत्र समय रहते संवेदनशील न हो, तो जमीनी विवाद कब खून-खराबे में बदल जाए, कहना मुश्किल है । बहरहाल खबर लिखे जाने तक पट्टी तहसील प्रशासन आँखें मूंदे अगली घटना के इंतेज़ार में है ।