सरकारी जमीन से कब हटेगा कब्जा? हाईकोर्ट के दो-दो आदेश के बाद भी पट्टी प्रशासन बेखबर!
सरमा गांव की चकमार्ग व खलिहान पर जबरन कब्जे का मामला

गाँव लहरिया न्यूज़/प्रतापगढ़
सरकारी आदेशों की अनदेखी किसे कहते हैं, यह देखना हो तो पट्टी तहसील आ जाइए। सरमा गांव की सरकारी जमीन—गाटा संख्या 393 चकमार्ग व खलिहान—पर दबंगों द्वारा दीवार खड़ी कर कब्जा कर लिया गया है। हाईकोर्ट लखनऊ की एकल पीठ ने दो बार आदेश दिया कि उक्त जमीन को तत्काल कब्जा मुक्त कराया जाए, लेकिन पट्टी तहसील प्रशासन की नींद अब तक नहीं खुली है। न एसडीएम को फर्क पड़ा, न तहसीलदार को और न ही राजस्व टीम को।पीड़ित मृत्युंजय कुमार यादव ने पहले तहसील, फिर जिला प्रशासन से गुहार लगाई, मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत की, लेकिन न्याय की उम्मीद में जब हर दरवाज़ा बंद हुआ, तो हाईकोर्ट का सहारा लिया। फरवरी में कोर्ट ने आदेश दिया कि एक महीने में जमीन खाली कराई जाए। फिर 12 मई को दोबारा सख्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा—“कब्जा हटाओ और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करो।”आलम यह है कि इस ज़मीन की अब तक आठ बार पैमाइश हो चुकी है और हर बार साबित हुआ है कि यह सरकारी जमीन है, जिस पर अवैध निर्माण कर लिया गया है। इसके बावजूद कार्रवाई ठप है। क्या पट्टी प्रशासन जानबूझकर कोर्ट की अवमानना कर रहा है।
खूनी संघर्ष तक पहुंचा कब्जे का खेल!
पट्टी तहसील में सरकारी और आबादी जमीनों पर कब्जे अब केवल विवाद नहीं, खून-खराबे की वजह बन चुके हैं। बीते एक साल में डढवा महोखरी गांव में जमीन विवाद में युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। महिला गंभीर रूप से घायल हुई, महीनों इलाज चला। उस केस में आरोपी तो जेल में हैं, लेकिन जमीन का निस्तारण आज तक नहीं हुआ।प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि हर घटना के बाद मौके पर अफसर पहुंचते हैं, आश्वासन की झड़ी लगाते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर ज़ीरो। पट्टी तहसील का राजस्व विभाग जैसे ‘दबंगों के डर’ से चल रहा हो।