शाम-ए-अदब में कवियों और शायरों ने बांधा समां, नग़मों से गूंजती रही रात

गाँव लहरिया न्यूज़/प्रतापगढ़।

तिलक इंटर कॉलेज में आयोजित शाम-ए-अदब के तीसरे ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में शनिवार की रात शायरी और कविताओं की रसधार बहती रही। देशभर से आए नामचीन कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हास्य, व्यंग्य, देशभक्ति और प्रेम से सराबोर रचनाओं ने खूब वाहवाही बटोरी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने की, जिन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा— “नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे ओंठ एक-एक बूंद पानी को तरस जाएं।”मुख्य अतिथि समाजसेवी अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात ने कहा, “कवि और शायर समाज को दिशा दिखाते हैं।” अति विशिष्ट अतिथि इं. चंद्रकांत त्रिपाठी शाश्वत ने भी गीतों से समां बांध दिया।कार्यक्रम का संचालन शायर नसीम साज ने किया। उद्घाटन अतिथि कवयित्री प्रतिभा पांडेय ने ओजस्वी पंक्तियों में कहा—

“लिखे जो राष्ट्र का चिंतन, सृजन में शौर्य की गाथा;

मैं ऐसी हूं कमलकारा, जो सच्ची बात करती हूं।”

मुशायरे में मुजावर मालेगांववी की हास्य रचना—

“ये अलग बात कि फूलों से लदे रहते हैं,

फिर भी जो लोग गधे हैं वो गधे रहते हैं।”

ने खूब ठहाके बटोरे।

नवाज़िश नजर (शामली) ने प्रेम भावनाओं को यूं व्यक्त किया—

“तुझसे मिलने का तो अरमान बहुत होता है,

हां मगर वक्त का नुकसान बहुत होता है।”

मकदूम फूलपुरी ने सैनिकों की व्यथा को स्वर दिया—

“किसानों के ही बेटे सरहदों पर जान देते हैं,

बड़े लोग अपने बेटों को कहां फौजी बनाते हैं।”

कार्यक्रम में शारिक फूलपुरी, मीरा तिवारी, इमराना अदीब (सूरत), नाजो नाज, परवाना प्रतापगढ़ी, राजमूर्ति सिंह सौरभ, राज नारायण शुक्ल ‘राजन’ और बिहारी लाल अंबर समेत कई कवियों ने अपनी रचनाओं से माहौल में रंग भर दिया।

समापन पर शिक्षक राजेश कुमार मिश्र ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का आभार जताया। आयोजन की अगुवाई शायर नियाज़ प्रतापगढ़ी और गीतकार गजेंद्र सिंह विकट ने की।कार्यक्रम में फिल्म निर्माता बृजेश पांडेय, पत्रकार अखिल नारायण सिंह, संजय द्विवेदी समेत अनेक गणमान्य लोग एवं श्रोता उपस्थित रहे। कवियों व शायरों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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