अमृतकाल में भारत और मीडिया” पुस्तक प्रकाशित — भारत के संचार परिदृश्य पर गहन विमर्श

प्रसिद्ध संचार विशेषज्ञ डॉ. साधना श्रीवास्तव का संपादित ग्रंथ विमोचित, फ्लिपकार्ट और प्रमुख स्टोर्स पर उपलब्ध

देहरादून। भारत के संचार तंत्र और मीडिया की बदलती भूमिका पर आधारित पुस्तक “अमृतकाल में भारत और मीडिया” हाल ही में प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक का संपादन देश की जानी-मानी संचार विशेषज्ञ और शिक्षिका डॉ. साधना श्रीवास्तव ने किया है। यह पुस्तक पार्थ पब्लिकेशन्स, उत्तराखंड द्वारा प्रकाशित की गई है और यह देशभर के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के साथ-साथ फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है।पुस्तक भारत के 75 वर्षों की स्वतंत्रता यात्रा के उपरांत अमृतकाल में प्रवेश की पृष्ठभूमि में मीडिया की भूमिका की पड़ताल करती है। अगले 25 वर्षों को भारत के समग्र विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानते हुए, यह पुस्तक मीडिया की चुनौतियों, ज़िम्मेदारियों, तकनीकी बदलावों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव, ग्रामीण व वैकल्पिक मीडिया के विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा जैसे गंभीर विषयों पर गहन चर्चा करती है।इस पुस्तक में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और मीडिया संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञों व शिक्षकों के विचारात्मक आलेख सम्मिलित हैं, जो इसे एक प्रामाणिक और बहुआयामी संदर्भ ग्रंथ बनाते हैं।डॉ. श्रीवास्तव की यह दूसरी संपादित पुस्तक है। इससे पूर्व उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत और मीडिया” का भी सफल संपादन किया था, जिसे अकादमिक और मीडिया क्षेत्र में विशेष सराहना मिली थी। संचार और समाज के परस्पर संबंधों पर डॉ. श्रीवास्तव की विश्लेषणात्मक दृष्टि इस पुस्तक में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।“अमृतकाल में भारत और मीडिया” न केवल पत्रकारिता और जनसंचार के छात्रों के लिए उपयोगी है, बल्कि यह नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और मीडिया से जुड़े पेशेवरों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री सिद्ध हो सकती है। पुस्तक वर्तमान संचार परिदृश्य की गहरी समझ प्रदान करती है और आने वाले समय की दिशा निर्धारित करने में मार्गदर्शक बन सकती है।

 

 

Related Articles

Back to top button