कमीशन के चक्कर में खो दिया ईमान-धरम, ‘अधीक्षक’ की सह पर अस्पताल में चल रहा गोरखधंधा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पट्टी में गरीबों की जेब पर डाका डाल रहे डॉक्टर, लिख रहे बाहर की महंगी जांच

गाँव लहरिया न्यूज/पट्टी
गाँव लहरिया न्यूज जनता के मुद्दे उठाती है। अक्सर सरकारी अस्पताल मजबूर लोग आते हैं और उनकी मजबूरी का फायदा अस्पताल के कुछ संवेदनहीन डॉक्टर उठाते हैं। गाँव लहरिया के पास सोमवार की दोपहर एक फोन आता है की एक बीमार महिला पट्टी अस्पताल में कार्यरत के एक डॉक्टर के पास इलाज कराने पहुचती हैं जहाँ पर डॉक्टर उसे कुछ जांच लिखते हैं और कहते हैं की बाहर से करा लो। ..डॉक्टर के केबिन में ही खड़ा प्राइवेट पैथालोजी कलेक्शन एजेंट तुरंत उस महिला से पर्चा ले लेता है और डॉक्टर के केबिन में ही ब्लड सैम्पल लेकर कहता है कि 700 रूपये लगेगा। महिला कहती है की वह दूर से आई है उसके पास सिर्फ 500 रूपये हैं ऐसे में वह 500 जांच के लिए दे देगी तो बाकी की दवाई कैसे लेगी? कैसे अपने घर जाएगी?… ..बहस होती देख एक जागरूक लड़का महिला की मदद करने पहुचता है। जब वह डॉक्टर के पास जाकर बीमार का परचा मांगता है की कौन सी जांच लिखे हैं ? इस पर डॉक्टर किनारा काटते हुए नजर आते हैं लेकिन कलेक्शन एजेंट कहता है की यह जांच अन्दर नहीं होती बाहर होती है। इसपर युवक जिद पर अड़ गया और डॉक्टर से जब महिला का परचा वापस लिया और सरकारी लैब में जाकर लैब इंचार्ज से पुछा की यह जांच यहाँ होती है तो उसने हामी भर दी।
पूरे मामले की पड़ताल गाँव लहरिया रिपोर्टर ने की आप भी देखे रिपोर्टर अंकित पाण्डेय की खास रिपोर्ट सीधा सरकारी अस्पताल से ….
फ्री में होने जांचों के लिए भोले-भाले ग्रामीण कर रहे हैं हज़ारों रूपये खर्च रुपए
सरकारी अस्पताल पट्टी में लगभग हर बीमारी की जांच पूरी तरह से मुफ्त में की जाती है। मरीजों को हीमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, एक्स-रे सहित बड़ी बीमारियों जांच करानी हो तो वह आसानी से अस्पताल में करा सकता है। लेकिन अस्पताल में कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्हें सरकारी जांचों पर यकीन नहीं है। ग्रामीण इलाकों से सरकारी इलाज की मंशा लेकर आने वाले लोग अस्पताल में भी अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं।
डॉक्टर’ कलेक्शन एजेंट के साथ मिलकर लूट रहे मरीजों को
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कुछ डॉक्टरों को अपने ही विभाग की पैथोलॉजी पर भरोसा नहीं है। अस्पताल एवं रायपुर रोड पर पैथोलॉजी के नाम पर जांचों का ठेका लेने वाले आधा दर्जन लैब संचालक केवल कलेक्शन एजेंट के रूप में दुकानें खोलकर बीमार मरीजों को लूट रहे हैं और इनसे मोटा कमीशन लेकर डॉक्टर धडल्ले से बाहर की जाँच लिख रहे हैं.
अस्पताल में यह जांचें उपलब्ध
अस्पताल में ब्लड, यूरिन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, मलेरिया, हैजा, टायफाइड, टीबी, शुगर, हेपाटाइटस, सहित आदि बीमारियों की जांच की जाती हैं। यह जांचें पूरी शुद्धता के साथ अस्पताल की सरकारी लैब में मौजूद हैं जो पूरी तरह से मरीजों के लिए मुफ्त हैं। एक्सरे मशीन भी अत्याधुनिक लगाई गई है, जिस पर एक्स-रे कराने की बजाय डॉक्टर बाहर मरीजों का 500 रुपए में कराते हैं। इसी प्रकार यूरीन की जांच 250, टायफायड 600, मलेरिया 180, हैजा 200 रुपए में की जाती हैं। जबकि यह जांचें अस्पताल में बिना पैसों के मरीजों को उपलब्ध हैं। बावजूद मरीजों को बाजार की प्राइवेट लैब पर जांचें करानी पड़ रही हैं।
क्या कहते हैं मुख्य चिकित्साधिकारी
वैसे तो समस्त चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि अस्पताल की दवा व जांच से मरीजों का इलाज करें। अगर कोई बाहर की दवा एवं जांच लिखता है तो यह गलत है। जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।