ABVP की ख़ास मुहीम : स्त्री सशक्तिकरण दिवस के रूप में मनाया जायेगा महारानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन

19 नवंबर को हुआ था महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म

गाँव लहरिया न्यूज/संवाद

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा 19 नवंबर महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती को स्त्री सशक्तिकरण दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। जिसके पूर्व संध्या पर वीरेंद्र बहादुर सिंह महिला महाविद्यालय में छात्राओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन हेतु संकल्पित करने एवं समाज में व्याप्त विकृतियों के समूल समाधान हेतु विचार रख कर छात्राओं को जागरूक किया गया जिले से प्रवास पर आए प्रतापगढ़ जिले के जिला सहसंयोजक बाला जी ओझा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि 19 नवंबर का दिन भारतीयों के लिए बहुत खास दिवस है। उस दिन देश की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी जिसका नाम लेकर आज भी महिलाओं और बच्चियों में जोश भरा जाता है, 19 नवंबर 1853 को उनका जन्म हुआ था। वह वीरांगना थी रानी लक्ष्मी बाई देश की वो नायिका हैं जो वीरता की श्रेणी में सबसे ऊपर हैं और जब भी वीरता की बात चलती है सबसे पहले उनका जिक्र आता है। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली लक्ष्मीबाई बचपन से ही त्याग करती रहीं जिसके बाद वह फौलाद बन गई थीं। जिसकी वजह से बड़े से बड़ा निर्णय से वह झट से ले लेती थीं।

बनारस के करीब एक छोटे से गांव में पैदा हुई मणिकर्णिका बचपन से ही तेज तर्रार थीं। मां को चार साल की उम्र में ही खो चुकी मनु का लालन-पालन देश के योद्धा की तरह किया गया था। 18 साल की आयु में उनकी शादी कर दी गई। वह जल्द ही झांसी के शासक के रूप में उभरी। उनके तेजतर्रार हार न मानने वाली छवि के कारण उन्हें लक्ष्मीबाई कहा जाने लगा।

विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित मिशन साहसी कार्यक्रम छात्राओं के हित में उठाया गया एक अहम पहल है। नगर अध्यक्ष डा अवधेश मिश्रा ने कहा की विद्यार्थी परिषद आज पूरे देश में हर्षो उल्लास के साथ महारानी लक्ष्मीबाई जी की वीर गाथा को लेकर कार्यक्रम कर रहा है। उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके पति राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत खराब रहता था जिसके कारण उन्हें एक पुत्र गोद लिया। जिसका नाम दामोदर रखा। लेकिन ब्रिटिश सरकार उनके दत्तक पुत्र को वारिस मानने से इनकार कर दिया उसके बाद लक्ष्मी ने अपने नवजात बेटे को कमर से बांध कर युद्ध के मैदान में उतरीं। उनकी वही छवि आज भी हर जगह देखने को मिलती है। उनकी इसी वीरांगना छवि को जनमानस तक पहुंचाने का काम किया कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने उनकी कविता “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” ने आज भी बच्चे-बच्चों की जुबा पर है।

नगर मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा की ब्रिटिश आर्मी के सीनियर अधिकारी कैप्टन ह्यूरोज ने रानी लक्ष्मी के साहस को देखकर उन्हें सुंदर और चतुर महिला कहा था। अंग्रेजों से युद्ध के दौरान रानी ने भी अपने घोड़े सहित किले से छलांग लगाई थी। इस मौके पर इकाई अध्यक्ष प्रतिमा यादव और इकाई मंत्री मिस्बा बानो कॉलेज के अध्यापक गण स्वतन्त्र सिंह ,अभिनंदन सिंह राकेश उपाध्याय, रोहित तिवारी, रत्नेश पांडे आदि लोग मौजूद रहे।

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