गौ संसद ने दिया धर्मादेश.. गाय को राष्ट्रमाता घोषित करे सरकार

भारत की संसद के पास गाय के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय नहीं है. देश के करोड़ों हिन्दू लोग गौ माता को सम्मान देना चाहते हैं, लेकिन भारत की संसद ने आज तक गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा नहीं दिया:शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

गाँव लहरिया न्यूज/ प्रयागराज 

गाय को राष्ट्रमाता घोषित किये जाने की मांग को लेकर माघ मेले में मंगलवार को गौ संसद का आयोजन किया गया. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से गाय को राष्ट्रमाता घोषित किये जाने की मांग की गई और साथ ही गौ हत्या में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अगर तीन महीने में प्रायश्चित करके इस कार्य से दूर नहीं होंगे तो उन्हें समाज से सार्वजनिक रूप से बहिष्कृत कर दिया जाएगा.

यही नहीं शंकराचार्य ने यह भी कहा कि अयोध्या में भगवान राम लला बाल स्वरूप में विराजमान हो गए हैं ऐसे में उन्हें राष्ट्रमाता यानी कि रामा गाय के दूध का भोग लगाया जाएगा.जिसके लिए गौवंश को सुरक्षित करने के लिए हिंदुओं को जागृत किया जाएगा. संगम की रेती पर लगे माघ मेले में मंगलवार को गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर गौ संसद लगी. इस गौ संसद में सांसद विधायक नहीं बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों से आये हुए साधु संत महात्मा शामिल हुए. ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की अगुवाई में आयोजित की गई गौ संसद में द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती भी शामिल हुए. वहीं शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने अपना वीडियो संदेश भेजा.

गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग एकस्वर से उठी

माघ मेला में आयोजित गौसंसद में साधु संतों और गौ रक्षकों ने एक स्वर में गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग उठायी. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर पारित किया. इस मौके पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भारत की संसद के पास गाय के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय नहीं है. देश के करोड़ों हिन्दू लोग गौ माता को सम्मान देना चाहते हैं, लेकिन भारत की संसद ने आज तक गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा नहीं दिया.

गौ संसद में पारित किया गया धर्मादेश

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कार्यक्रम में कहा कि देश को आजाद हुए 75 साल बीत गए हैं लेकिन देश की संसद में गाय को राष्ट्रमाता घोषित किये जाने के विषय पर चर्चा तक करने का समय नहीं है. ऐसे में साधु संतों और गौ भक्तों को संसद लगाकर गौ माता के बारे में चर्चा करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि हिंदू होने के लिए यह जरूरी है कि उसे गौ भक्त होना चाहिए. क्योंकि जो गाय को माता नहीं मान सकता है वह हिंदू कहलाने के लायक नहीं है. इसको लेकर धर्मादेश भी  है. इसमें कहा गया है कि जो गौ हत्या से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ होगा और जो लोग ऐसे कार्य को अनुमति और समर्थन दे रहे होंगे या गौ माता के हिंसा के व्यापार से जुड़ा हुआ होगा. उन लोगों को गौ सांसद सिर्फ तीन महीने का समय दे रही है. वो लोग सुधर जाएं और पश्चाताप कर लें. नहीं तो ऐसा न करने पर हिंदू धर्माचार्यों द्वारा ऐसे लोगों को हिंदू धर्म समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि गाय को राष्ट्र माता घोषित करने का प्रस्ताव गौ संसद में पारित किया गया है. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. संत समाज की ओर से यह मांग की जाएगी कि गाय को राष्ट्र माता घोषित किया जाए. उन्होंने देश में गौ हत्या बंद किए जाने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि सबसे पहले अयोध्या में विराजे भगवान श्री राम को गौ माता राष्ट्र माता का दूध पिलाना है. उन्होंने कहा कि गौ हत्या की वजह से हिंदू कमजोर हुआ है, लेकिन जब देश में गौ हत्या पूरी तरह से बंद हो जाएगी तब हिंदुओं का तेज और पराक्रम भी बढ़ जाएगा. गौ संसद में बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से आए साधु संतों ने भी हिस्सा लिया.

 

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