बाल संसद में बच्चों ने राजनैतिक दलों से बाल घोषणा-पत्र अपनाने की मांग की
बच्चे देश के भविष्य नहीं वर्तमान भी है- नसीम अंसारी
बाल संसद में बच्चों ने राजनैतिक दलों स
गाँव लहरिया न्यूज/पट्टी
प्रतापगढ़! “बच्चे देश के भविष्य नहीं वर्तमान भी है” उक्त विचार गत सप्ताह दिल्ली में हुए बाल संसद में तरुण चेतना के निदेशक नसीम अंसारी ने व्यक्त किया जिसमें देश भर के 75 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चे राष्ट्रीय राजधानी में एकत्र हुए और अपने संसद सदस्यों से आगामी आम चुनाव 2024 में बच्चों द्वारा बनाये गये इस बाल-घोषणापत्र को अपनाने की अपील की।
24 जनवरी से 31 जनवरी तक हुए इस राष्ट्रीय समावेशी बाल संसद (NICP) में आमंत्रित युवा सांसदों ने कहा कि “बच्चों के बारे में बच्चों के बिना कुछ भी नहीं”। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक संस्था द्वारा आयोजित इस बाल संसद में पूरे देश भर से आये 100 से अधिक युवा बाल नेताओं, 100 फैसिलिटेटर और बाल अधिकार संगठनों के 100 निदेशकों ने प्रतिभाग किया. जिसमें संयुक्त रूप से भारत को लोकतंत्र के सबसे पवित्र क्षण आगामी चुनाव में बच्चों को सही मायने में और पूरी तरह से शामिल करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बनाने की मांग की।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम में, देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये बच्चों और युवा नागरिकों के साथ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) जलवायु परिवर्तन पर गहन चर्चा और बाल अधिकार प्रशिक्षण का आयोजन किया गया, जिसमें तरुण चेतना प्रतापगढ़ से हकीम अंसारी और दो बच्चे मो० आदिल व अकदस अंसारी ने भी सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया. इस बाल संसद में संसदीय संरचना के आधार पर हाशिए पर रहने वाले और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों की आवाज को बढ़ाने और शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा सहित उन्हें प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गयी.
इस बाल-संसद में अपने अनुभव साझा करते हुए नाईन इज माईन दिल्ली की 16 वर्षीय रितु कुमारी ने कहा, “बच्चों को जलवायु कार्रवाई में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि वे जलवायु संकट के सबसे अधिक प्रभावित पीड़ित हैं और वर्तमान और भावी पीढ़ी के रूप में उन्हें एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में रहने के अधिकार हैं।”
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित बाल-सांसदों ने अपने बीच से प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख मंत्रियों का चुनाव किया, जिसमें चंडीगढ़ से बबीता को प्रधानमंत्री, दिल्ली की कविता को उप-प्रधानमंत्री, त्रिपुरा की साल्का (श्रवण बाधित) को अतिरिक्त उप-प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। संसदीय मामलों के मंत्रियों में तेलंगाना से दुर्गा, असम से असीना और तमिलनाडु से याष्का और जम्मू-कश्मीर से सालिक को उप संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में चुना गया है. अंत में सतत विकास के 18वें लक्ष्य को ‘सभी बच्चों के लिए सभी अधिकार’ कहा गया था। इस बाल संसद में प्रत्येक संस्था-दिल्ली से निक्की और रॉबिन को राष्ट्रीय बाल संसद का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना गया, जिन्हें पूर्व बाल प्रधानमंत्री सुश्री स्वर्णलक्ष्मी रवि ने शपथ दिलाई। इस बाल संसद के अंत में बच्चों ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को तमिल, मलयालम, हिंदी, उर्दू, पंजाबी, असमिया, कन्नड़ और मराठी में अपना घोषणापत्र सौंप कर इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में भाजपा, सपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर बच्चों की माँगों को ध्यानपूर्वक सुना.