जातियों की राजनीती में सपा के दामन पर भी हैं कई दाग : सपा ने अपने शासन काल में पदोन्नति में एससी-एसटी आरक्षण खत्म कर दिया-मायावती

 उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों मुद्दों को अपने पक्ष में लाने की राजनीति चल रही है। एक तरफ समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की अनदेखी के मसले पर प्रदेश की भाजपा सरकार को घेर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ मायावती अखिलेश यादव को ओबीसी आरक्षण से उपजने वाले संभावित असंतोष का लाभ लेने से रोकने के लिए मैदान में उतर आई हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को समाजवादी पार्टी पर राज्य की 17 अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण से वंचित करने का आरोप लगाया। इसके जरिए मायावती समाजवादी पार्टी को किसी प्रकार की बढ़त लेने से रोकने का प्रयास करती दिख रही है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहल वे पार्टी को एक अलग लेवल पर ले जाने की कोशिश कर रही हैं।

गाँव लहरिया न्यूज डेस्क/मानवेन्द्र प्रताप सिंह 

लखनऊ: मायावती ने लखनऊ में एक बयान जारी कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सपा को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सपा ने 17 अति-पिछड़ी जातियों को ओबीसी वर्ग (अन्य पिछड़ा वर्ग) की सूची से हटाकर एससी (अनुसूचित जाति) वर्ग में शामिल करने का गैर-संवैधानिक कार्य कर इन वर्गों के लाखों परिवारों को ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसा करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद तत्कालीन सपा सरकार की ओर से यह गलत कदम उठाया गया। इससे वे सभी जातियां न तो ओबीसी में ही रह पाईं और न ही उन्हें एससी में शामिल किया जा सका।

मायावती ने कहा कि इस कदम को लेकर सपा सरकार को अदालत की फटकार भी लगी। बसपा सरकार में एससी और एसटी (अनुसूचित जनजाति) के साथ-साथ अति-पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक एवं आदर-सम्मान दिया गया। मायावती ने आरोप लगाया कि सपा की सरकारों ने अति-पिछड़ों को पूरा हक न देकर उनके साथ हमेशा छल करने का काम किया। सपा ने पदोन्नति में एससी-एसटी आरक्षण खत्म कर दिया। पार्टी ने संसद में इससे संबंधित विधेयक की प्रति फाड़ दी और उसे पारित भी नहीं होने दिया।

 

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