बताए गए पैथलॉजी पर जाँच न करवाने से भड़के डॉक्टर ‘राकेश कुमार’ ने फेक दिया ‘रिपोर्ट कार्ड ‘ बीमार के साथ आये तीमारदार को हडकाया
सी.एच.सी पट्टी में तैनात डॉक्टर राकेश एक बार फिर से विवादों में हैं
मानवेन्द्र प्रताप सिंह ‘माना’
पट्टी। सी.एच.सी पट्टी में तैनात डॉक्टर राकेश एक बार फिर से विवादों में हैं। बुद्धवार की शाम एक तीमारदार का फोन गाँव लहरिया के पत्रकार मानवेन्द्र प्रताप के पास आता है। तीमारदार फोन पर बताता है कि वो अपने रिश्तेदार को डॉक्टर राकेश के पास इलाज के लिए आता है जहाँ पर डॉकटर राकेश उसको कुछ जाँच के लिए लिखते है और अस्पताल के पास की एक पैथोलॉजी पर जाने का निर्देश देते हैं। तीमारदार उस जाँच को दूसरी पैथोलॉजी पर करवा लेता है और रिपोर्ट पुनः शाम 5 बजे के लगभग ले जाकर अस्पताल की ओ पी डी में बैठे डॉक्टर राकेश को दिखाता है।
तीमारदार का आरोप है कि रिपोर्ट का लिफाफा देखते ही डॉक्टर उस रिपोर्ट को हाथ से लेकर फेक देते हैं और कहते हैं कि जहां से जांच के लिए कहा था वहां से क्यों नही कराए ये रिपोर्ट फर्जी है। जिसपर तीमारदार ने जब विरोध किया तो उसको भी हड़काने लगे और ज्यादा नेतागीरी न करने की हिदायत दी। तीमारदार का कहना है कि जो जांचे डॉक्टर ने लिखी थी वो जिस पैथोलॉजी के लिए कहा था वहां बहुत महंगे मे हो रही थी जबकि वही जांच दूसरी पैथोलॉजी में बहुत सस्ती दर पर हुई।
गांव लहरिया के रिपोर्टर जब मौके पर पहुचे और तीमारदार से बात चीत की रिकार्डिंग कर रहे थे तभी डॉक्टर राकेश ने बीमार को हड़का कर भेजा और वीडियो अधूरा ही रह गया। जब गाँव लहरिया का रिपोर्टर डॉक्टर राकेश के केबिन में पहुँचा केबिन में मरीज भरे हुए थे जब मरीज ने सवाल किया तो डॉक्टर बाहर की जाँच वाली बात से ही मुकर गया और जो बीमार था वो भी हाथ जोड़ने लगा कि साहब जाने दीजिए…
बाहर निकलने पर पता चला कि डॉक्टर ने मामला बिगड़ता देख मरीज को इमोशनल कर जातीय संबंधों की दुहाई देकर मामले को रफा दफा कराने के काम कर दिया। खैर गाँव लहरिया की पड़ताल में ये खबर सच निकली इसलिए डॉक्टर राकेश की कारगुजारी को उजागर करना जरूरी समझा गया।
निजी पैथोलॉजी पर जांच कराने का बनाता है दबाव
लोगो से बात करने पर पता चला कि डॉक्टर राकेश सरकार की नौकरी के साथ साथ पैथोलॉजी और निजी मेडीकल स्टोर वालों से भी साठ गाठ कर के रखा है और मरीजों को ज्यादातर बाहर की महंगी दवाएं लिखकर मोटा कमीशन कमाता है।
अस्पताल में ही देखता है प्राइवेट पेशेंट, लिखता है बाहर की दवा
आरोप है कि ओ पी डी के टाइम के बाद भी अस्पताल में देर तक रुक कर देखता है प्राइवेट पेशेंट और बाहर की दवाइयां और जांचे लिख कर जेब भारी करता है। मासूम मजबूर बीमार अक्सर डॉक्टर के झांसे में आकर मेडीकल स्टोर और पैथॉलजी में चक्कर लगाते और लुटते हैं जबकि सरकार ने तमाम जांचे व दवाइयां मुफ्त में आम जनों के लिए उपलब्ध कराई हैं।
क्या कहते हैं सी.एच.सी.अधीक्षक
इस पूरे संदर्भ में जब सी एच सी अधीक्षक डॉक्टर अखिलेश जायसवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर पर यह आरोप गंभीर है हम मामले की जांच कराकर उपयुक्त कार्यवाही करेंगे। डॉक्टर का धर्म होता है अपने मरीज को देखना डॉक्टर रिपोर्ट को देखने से मना नही कर सकता उसका काम है मरीज को संतुष्ट करना। साथ ही उन्होंने गाँव लहरिया के माध्यम से यह अपील की कि अस्पताल में किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर लोग सीधा उनसे मिल सकते हैं।